ग्वालियर के प्रतिहार -Gwalior Ke Pratihar
परिहार राजपूतो का इतिहास
ग्वालियर के प्रतिहार वंश एवं उनके संघर्ष
इसके पुत्र परमलदेव ने 1129 ई. के लगभग ग्वालियर पर अधिकार किया और ग्वालियर के पहले प्रतिहार शासक बने। प्रतिहारों से पूर्व ग्वालियर पर कछवाहों का राज्य था। ग्वालियर पर प्रतिहारों का लगभग सौ वर्ष तक अधिकार रहा। परमलदेव के पुत्र विजयपाल के तीन पुत्र हुए- जाल्हणदेव, गिरमेशाह और शिविरशाह। शिविरशाह ने दक्षिण प्रदेश में उरई, कोटस, जालौन मे अपना राज्य स्थापित किया था। जाल्हणदेव ग्वालियर के शासक रहे इसके बाद क्रमशः बासुदेव, संग्रामदेव, महिच्छदेव, कीर्तिदेव, सलकमन, कर्णदेव, व सांरगदेव ग्वालियर के शासक हुए।
सुल्तान कुतुबद्दीन ने प्रतिहारों के ग्वालियर पर कई आक्रमण किए। प्रतिहारों ने सफलतापूर्वक प्रतिरोध भी किया था। कुतुबुद्दीन ने बहाउद्दी़न को बयाना का किलेदार बनाया और उसने बयाना से ग्वालियर पर कई हमले किए परन्तु प्रतिहारों ने बहादुरी से सभी हमलों का प्रतिकार किया और कुतुबुद्दीन प्रतिहारों के रहते हुए ग्वालियर को विजय नहीं कर सका।
इल्तुतमिश के बादशाह बनने पर उसने ग्वालियर के किले पर बड़ी सेना के साथ आक्रमण किया और किले का घेरा एक वर्ष तक चला। अन्त में ग्वालियर का शासक सारंगदेव प्रतिहार युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ और सुल्तान इल्तुतमिश का ग्वालियर पर अधिकार हो गया।
ग्वालियर के प्रतिहार Gwalior Ke Pratihar
Reviewed by Arnab Kumar Das
on
July 05, 2022
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