सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi

                 Sisodiya Vansh Ki Kuldevi

              सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi

जय माँ भवानी 🚩

 

सिसोदिया राजपूत वंश की कुलदेवी का पूरा इतिहास

 

सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi

(बाण माता/बाणेश्वरी माता)
सिसोदिया,गोहिल,गहलोत राजवंश की कुलदेवी

मेवाड़ राजवंश की कुलदेवी श्री बाण माताजी के चित्तौड़गढ़ मन्दिर का दृश्य 

बायण माताजी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है । बाण माताजी मेवाड़ से जुड़े हुए ठिकानों जैसे सलुम्बर , बांसी , आमेट , बेंगु , खुराबड, कानोर में कुलदेवी व संरक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है ।
 

सिसोदिया राजपूत वंश की कुलदेवी का पूरा इतिहास 

मेवाड़ के सिसोदिया अपने शासनकाल में अम्बा माताजी की पूजा करते थे , जो बाद में कलिका माताजी के नाम से पूजी जाने लगी । जहा पर चित्तौड में कलिका माताजी का मंदिर अभी मौजूद है । कलिका माताजी के मंदिर के पास ही बाण माताजी , अन्नपूर्णा माताजी व तुलजा भवानी का मंदिर स्थित है । यदि इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो  कालिका माताजी की स्थापना 7 वी शताब्दी में बप्पा रावल के द्वारा की गईं थी ।
 
बाण माताजी की स्थापना भी 7 वी शताब्दी में बप्पा रावल के द्वारा की गईं थी । अन्नपूर्णा माताजी की स्थापना 13वी शताब्दी में महाराणा हमीर के द्वारा की गयी थी । एवं तुलजा भवानी की स्थापना 15 वी शताब्दी में बनवीर के द्वारा की गयी थी । इन मंदिरों के स्थापना का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है ।
 
बाण माताजी को अलग- अलग क्षेत्रों में अलग - अलग नामो जैसे बाण , बायण , बेण , बाणेश्वरी , बायणेश्वरी ,
ब्राह्मणी, वरदायिनी  व कन्या कुमारी के नाम से जाना जाता है ।वही मातेश्वरी की अलग - अलग स्थानों पर अलग - अलग सवारिया है जैसे माताजी के मुख्य पाट स्थान चित्तोड़ में हंस की सवारी है जिससे मातेश्वरी को हंसवाहिनी के नाम से जाना जाता है  ।
 
सलूम्बर राजमहल में विरामान बायण माताजी सहित कई मंदिरों में  शेर की सवारी है । सलुम्बर राजमहल में विराजमान बायण माताजी को शेर सवारी होने से युध्य की देवी के रूप में पूजा जाता है । यही कारण है की सलुम्बर के चूंडावत कई युध्यो के में अपनी वीरता व बलिदान का लोहा मनवा चुके है , व मेवाड़ की सेना में उन्हें हरावल में लड़ने का विशेषाधिकार प्राप्त था ।
 
प्रतापगढ़ में स्थित बाण माताजी की अश्व (गोडे ) की सवारी है व केलवाडा (कुम्भलगढ़) में स्थित बाण माताजी का मंदिर जिसकी स्थापना महाराणा हमीर ने की थी में भी माताजी की अश्व सiवारी है ।  देचू स्थित 300 साल पूर्व निर्मित मंदिर में श्री बाण माताजी भैंसे पर सवार होकर बिस भुजा धारण किए हुए हैं ।सिलोईया सिरोही स्थित बाण माताजी हाथी पर सवार है ।
 

सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi

इस प्रकार माताजी की महिमा का गुणगान करना बहुत ही आनन्द प्रकट करता है । कोई भी भक्त अनुमान नही लगा सकता कि एक देवी इतनी सवारी धारण कर सकती हैं।
 
जिससे बायण माताजी की पहचान को लेकर भक्त भ्रमित हो जाते है । वही बाण माताजी अलग- अलग स्थानों पर अलग- अलग भुजाओ के साथ विराजमान है, माताजी ने अलग - अलग मंदिरों में अष्ट भुज, षष्टभुज , चतुर्भुज व बीस भुजाओ के साथ विराजमान है ।
 
 
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सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi सिसोदिया वंश की कुलदेवी Sisodiya Vansh Ki Kuldevi Reviewed by Arnab Kumar Das on November 06, 2020 Rating: 5

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