महाराजा खेत सिंह खंगार

महाराजा खेत सिंह खंगार 





क्षत्रिय खँगार राजवंश - गढ कुंडार का दुर्ग 


*मध्यकालीन भारत के स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र के संस्थापक

 *कौन* *थे* *महाराजा* *खेत सिंह खंगार* 

 *भारतवर्ष* के *वैभवशाली* *इतिहास* को *गौरवान्वित* *करती* *हुई* *महत्वपूर्ण* *विशेषताएं* 

जन्म - २७ दिसम्बर ११४० 
पिता - रूढ़ देव खंगार ( रा'कवाट) 
माता - किशोर कुँवर बाई 
राजगद्दी - गढ़कुण्डार स्टेट 

महाराजा खेत सिंह खंगार की चार पत्नियां थी- 
१- हाड़ी रानी तारावती 
२- गौड़ रानी आलनबेल
३- गहरवार रानी राजल दे
४- बघेल रानी तेजसी 

(1)  महाराजा खेत सिंह खंगार ने बाल्यावस्था 12 वर्ष कि उम्र मे एक गाय को बचाने में बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ 
ड़ाला था ।

(2) महाराजा खेत सिंह खंगार मध्यकालीन भारत के ऐसे शासक थे जिन्होंने जुझौतिखण्ड ( वर्तमान बुन्देलखण्ड) में स्वतंत्रत हिन्दू राष्ट्र की घोषणा की थी ।

(3) महाराजा खेत सिंह खंगार चिरगांव नामक स्थान में नरराज एवं वनराज की कुश्ती में महाराजा खेत सिंह ने बब्बर शेर को दो हिस्सों में फाड़ कर अलग कर दिया था तभी पृथ्वीराज चौहान ने दरबारी कवि चंद्रवर दाई सहित "सिंह " शब्द की उपाधि हासिल की ।

(4) महाराजा खेत सिंह खंगार की तलवार का वजन 62 किलो था, उन्होंने हाड़ा चौहानों की गद्दी तारागढ़ में स्वयंबर समारोह में पत्थर की भारी शिला के दो टुकड़े कर राजकुमारी तारावती के साथ वरण किया था ।

(5) महाराजा खेत सिंह खंगार अपने कुलपुरोहित जुझौतिया ब्राह्मणों के सम्मान में इस विशाल क्षेत्र का नाम जुझौतिखण्ड रखा था जिसे बुंदेला राजाओं ने नाम  बदलकर बुन्देलखण्ड रख दिया था।

(6) गढ़कुण्डार नरेश महाराजा खेत सिंह खंगार जी के शासनकाल में मुग़ल आक्रांता जुझौतिखण्ड की सीमाओं मेँ घुसने के पूर्व थर थर कांपते थे।

(7) महाराजा खेत सिंह खंगार ने जुझौतिखण्ड में कन्यापूजन, मामुलिया ,सांझी , गौरें, सूअटा झेंझी आदि प्रथाएं चलाई जो तीन क्रम में शुरु होकर पूर्णिमा वाले दिन इसकी गोट होती है बहन की तरफ दुल्हन यानैकि झेंझी और भाई की तरफ सूगटा बहुत सारे अलग अलग गीत होते हैं । 



महाराजा खेत सिंह खंगार महाराजा खेत सिंह खंगार Reviewed by Arnab Kumar Das on November 23, 2020 Rating: 5

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