Rajputo ke baare me
माल्टा देश की सरकार ने 15 साल पहले मेवाड़ के क्षत्रिय शिरोमणि शूरवीर महाराणा प्रताप पर चांदी का सिक्का जारी किया था ,एक किलोग्राम का यह सिक्का दुनिआ में सबसे बड़ा सिक्का है ,जिसके एक और महाराणा प्रताप का चित्र है और उनके जनम मृत्यु की तारीख है ,तो दूसरी तरफ माल्टा देश का नाम है और चिन्ह है।
वीर योद्धा तोगोजी राठौर
जिन्होंने सर कटने के बाद भी आरंगजेब की सेना की पूरी टुकड़ी को समाप्त कर दिया था ,उनकी इस वीरता को देख कर आरंगजेब ने जोधपुर के महाराजा से माफ़ी और उनसे विनती की इस वीर को शांत करिये , नहीं तो ये वीर पूरी सेना को समाप्त कर देंगे।
राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान -
ये किला पहाड़ काट कर बनाया गया है ,यह किला 550 साल पुराना है , इस किले का नाम नीमराना किला है ,इसे पृथ्वीराज चौहान के वन्सजो ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था।
चंबल के सबसे बड़े बागी " राबिनहुड (ठाकुर मान सिंह राठौर )
जिन्हे गरीबो का मसीहा और एक क्रन्तिकारी भी कहा जाता है , क्योकि इन्होने अग्रेजो से बगावत थी , और ये बागी थे , इन्होने 100 से ऊपर अग्रेजो को मौत के घाट उतरा था , इनके नाम का मंदिर भी है।
राजपूतो ने राइफल से ही ढहा दिया था इस्लामाबाद किला -
अकबर के चित्तोड़ आक्रमण समय जयमल जी मेडतिया ,कल्ला जी राठौर ,पत्ता जी पर चित्तोड़ की रक्षा का जिम्मा था ,इस घनघोर युद्ध में जयमल जी का पैर घायल हो गया ,तब कल्ला जी राठौर ने जयमल जी को अपने कंधो पर चढ़ाया और ,और ऐसा घनघोर युद्ध किया की मनो ऐसा लगता था ,की चतुर्भुज रूप में नारायण लड़ रहे हो ,मातृभूमि के रक्षा के लिए उन्होंने आखिरी दम तक अपनी वीरता दिखाई ,इनकी वीरता देख कर अकबर ने इन सूरवीरो की मुर्तिया आगरे के किले पर लगवाई थी।
वीर योद्धा आल्हा की वीरता का वर्णन करते हुए ये कहा जाता है की जिस दिन उनका जनम हुआ था ,उस दिन जमीन ढाई हाथ धंस गई थी ,
बुंदेलखंड की सुनो कहानी ,बुंदेलों की बानी में ,
पानीदार यहाँ का घोडा ,आग यहाँ के पानी में।
पन -पन ,पन -तीर तीर बोलत है ,रण में दपक -दप बोले तलवार ,
जा दिन जनम लियो आल्हा ने , धरती धंस अइलन हाथ।
क्षत्रियो की वीरता का वर्णन करते हुए महिमामंडन किया गया है की आल्हा खंड में कहा गया की क्षत्रिय केवल 18 वर्ष जीता है ,उसके आगे उसका जीवन धिक्कार है ,मतलब क्षत्रिय को मरने से डर नहीं लगता ,
बारह बरिस ले कुकुर जिए ,औ तेरह लो जिए सियार ,
बरिश आठारह क्षत्रिय जिए ,आगे जीवन को धिक्कार।
राजपूतो की उपाधि - ठाकुर
यह उच्च उपाधि है ,ठाकुर हिन्दू धर्म में श्री राम ,श्री कृष्ण जी को ठाकुर कह कर संबोधित किया जाता था ,ठाकुर का मतलब अन्यदाता या रक्षक ,अक्सर यह शब्द क्षत्रियो के लिए प्रयोग किये जाते है , क्षत्रियो ने ही एक राजा की तरह आम जन को अपनी प्रजा समझ कर उनका पालन किया और उनकी रक्षा की , जब जब मातृभूमि पर कोई भी समस्या आई है उस समय क्षत्रियो ने ही आगे बढ़कर उस समस्या को ख़त्म किया है और अपनी प्रजा को भय मुक्त किया है , क्षत्रिओं ने हमारी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्य त्याग दिया।
जाम नरपत जी जडेजा ने गजनी के पिरोजशाह बादशाह का सर उस के दरबार में ही काट डाला था ,और अद्भुत शौर्य करते हुए वे गजनी के सम्राट बने ,
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के दरबार में उसी के साले सलावत खां को मारकर इसी लालकिले से अपना घोडा कुदाया था नागौर के वीर योद्धा अमर सिंह राठौर ने।
जय भवानी जय राजपूताना
Rajputo ke baare me
Reviewed by Arnab Kumar Das
on
August 21, 2020
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jai bhawani jai rajputana
ReplyDeletejai bhawani jai rajputana
DeleteJai bhawani jai rajputana
ReplyDeletejai bhawani sa
Deletejai mata di ki sa
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteJai maa bhawani
ReplyDeleteJai ho
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