The Divine Weapons of the Puranas
The Divine Weapons of the Puranas
प्राचीन भारत में सनातनी अस्त्र शस्त्र की विद्या में परिपूर्ण ,निपुण थे | प्राचीन काल में जिन अस्त्र शस्त्र का प्रयोग होता था | इस प्रकार से इनका वर्णन है ,
अस्त्र :-
अस्त्र वह है जिन्हे मंत्रो के माध्यम से दुरी पर फेका जाता है ये अस्त्र अग्नि , गैस ,विघुत तथा यांत्रिक उपायों से चलते है |
दैवी अस्त्र वे अस्त्र होते है जिन्हे मंत्रो से चलाया जाता है। प्रत्येक अस्त्र पर भिन्य भिन्य देवी देवताओ का अधिकार होता है। और यह अस्त्र मंत्रो के माधयम से चलते है। इन अस्त्रों को दैवी अस्त्र या मन्त्रिक अस्त्र कहा जाता है।
इन अस्त्रो के कुछ प्रकार इस तरह से है :-
- आग्नेय अस्त्र :- यह विस्फोटक बाण है। यह जल की तरह आग उगलकर सब को भस्म कर देता है। इसके टक्कर का अस्त्र पजर्न्य है।
- पजर्न्य :- यह अस्त्र आग्नेय बाण का प्रतिकार करता है और भयंकर जल बरसा कर अग्नि को शांत करता है। और उस अस्त्र को शांत करता है।
- वायव्य :- यह अस्त्र भयंकर तूफान लाता है। इसके उपयोग से भंयकर अंधकार छा जाता है।
- पन्नग :- इस बाण के उपयोग से भंयकर सर्प पैदा होते है। इसके प्रतिकार में गरुण अस्त्र छोड़ा जाता है।
- गरुण अस्त्र :- इस बाण के उपयोग से गरुण उत्पन्य होते है जो सर्पो को खा जाते है।
महाअस्त्र इनमे तीन दिव्यास्त्र आते है
ब्रम्हास्त्र :- यह अस्त्र परमपिता ब्रम्हा का अस्त्र माना जाता है। यह अति विकराल होता है। यह अस्त्र शत्रु का विनाश कर ही छोड़ता है , इसका प्रतिकार दूसरे ब्रहास्त्र से ही हो सकता है। अथवा इसका कोई तोड़ नहीं है।
प्राचीन काल के अस्त्रों में सबसे विख्यात अस्त्र है।
वैष्णव :- यह भगवान विष्णु अस्त्र है ,इस अस्त्र का कोई प्रतिकार नहीं है ,इस बाण को चलाने पर अखिल विश्व की कोई भी शक्ति इसका प्रतिकार नहीं कर सकती है। इसका केवल एक ही तोड़ होता है कि शत्रु अस्त्र शस्त्र त्याग
कर नम्रता पूर्वक अपने आप को अर्पित कर दे। इस बाण के आगे झुक जाने से यह अपना प्रभाव नहीं करता है।
पशुपात अस्त्र :- यह अस्त्र भगवान शिव का अस्त्र है। इससे विश्व नाश हो सकता है। यह अस्त्र महाभारत कल में सिर्फ अर्जुन के पास ही साथ, अर्जुन ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर के उनसे यह अस्त्र प्राप्त किया था।
इस अस्त्र का प्रयोग सिर्फ दुस्टो पर किया जाता है। अनंथा यह पलट कर चलाने वाले का ही विनाश कर देता है।
विमान हवाई जहाज बनाने की कल्पना और विधि सनातन ने ही प्रदान की थी। जितने भी अस्त्र शस्त्र हुए है सब सनातन से ही निकले है। पर इसका उपयोग सिर्फ धर्म और मानवता की रक्षा के लिए किया है।
प्राचीन कल में क्षत्रियो ने इनसे बड़े बड़े युद्ध लड़े है और धर्म और मानवता की रक्षा की है।
प्राचीन काल में इन अस्त्रों को महान तप के कारण सिद्ध किया जाता था ,इन अस्त्रों में आपर शक्ति विद्यमान होती है , इस अस्त्रों की प्राप्ति गुरु कृपा और भगवान की दया से ही प्राप्त होते थे , ये अस्त्र अति बलवान होने के कारन यह किसी का विनाश भी कर सकते थे। इसलिए जब भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती थी तो इसके इस्तेमाल का पूरा विधि विधान बताया जाता था , अस्त्र हमेशा धर्म की रक्षा के लिए ही होना चाहिए यदि किसी ने इसका गलत इतेमाल किया तो उसका विनाश निश्चित है। अस्त्रों का सही इस्तेमाल नहीं करने पर ये अस्त्र विपरीत प्रभाव डालते है। इसलिए कहा गया है जब भी शस्त्र उठाना पड़े तो धर्म की रक्षा के लिए उठाओ ,
क्योकि जब हम धर्म की रक्षा करते है तो धर्म हमारी रक्षा करता है।
क्योकि जब हम धर्म की रक्षा करते है तो धर्म हमारी रक्षा करता है।
राजा रामचंद्र की जय।
The Divine Weapons of the Puranas
Reviewed by Arnab Kumar Das
on
May 03, 2020
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Jai ho
ReplyDeletejai bhawani
DeleteJai shrew ram
ReplyDeleteJai shree ram
Deletejai shree ram sa
DeleteJai shree ram🚩🚩
ReplyDeleteJai shree ram 🙏🙏
DeleteJai shree ram🚩
ReplyDeletejai rajputana
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